April 19, 2025

शब ए बरात के मद्देनजर मस्जिदों की बजाए घरों में करें इबादत…

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बुरहान राजपूत पिरान (कलियर/बहादराबाद)

शब-ए-बरात को मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखने वाले लोग रात भर जाग कर अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं। इस बार जुमेरात 09 अप्रैल को शब-ए-बरात है। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बरात से मिलकर बना है, जहां शब का अर्थ रात होता है वहीं बरात का मतलब बरी होना होता है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद महिमा की रात होती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।
बढेडी राजपूतान में दरगाह वाली मस्जिद के इमाम सैय्यद वाशिफ हुसैन साबरी ने जानकारी देते हुए बताया

कि चांद के महीनों में अरबी में आठवें महीने को शाबान कहते हैं। जिसके मायने जुदा होना, शाख दर शाख होना, चुंकि अहले अरब माहे शाबान में पानी की तलाश मे अपने घरों व खेमों से निकल पड़ते।और दूर दूर निकल जाते थे। और अपने कबिलो से जुदा हो जाते थे। इसलिए इसका नाम शाबान पड़ गया।
बाज औलिया इकराम ने फ़रमाया इसको शाबान इसीलिए कहते हैं। इसमें रोजोंदारो के लिए नेकियां शाख दर शाख होती है शाबान में अल्लाह ताला अपने बंदों के लिए कसरत से खैरो बरकत नाजिल फरमाता है और साल भर होने वाले काम बंदों को मिलने वाला रिज्क तकसीम होता है। इसलिए इस महीने को शाबान कहा जाता है।
सैयद वासिफ हुसैन साबरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस बार कोरोना वायरस के चलते सभी लोग अपने घरों में इबादत करें। क्योंकि केन्द्र सरकार द्वारा जो लॉक डाउन लगाया गया है। जिसमें सोशल डिस्टेंसिग बहुत जरूरी है। जिसके चलते सभी लोग मस्जिदों की बजाए अपने घरों में रहकर इबादत करें। कब्रिस्तान में अपने बुजुर्गो की कब्र पर जाने से पहले एहतियात बरतें, कब्रिस्तान में ज्यादा भीड न लगाए।
जामा मस्जिद के इमाम शादाब साबरी ने कहा कि शाबान महीने में रोजा रखने का खास महत्व और पुण्य है, इसलिए इस महीने में कभी भी रोजा रखा जा सकता है. शाबान महीने के बाद रमजान का महीना शुरू होता है और उसमें पूरे महीने रोजा रखना जरूरी होता है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस रात को जश्न की रात समझते हैं. खूब आतिशबाजी करते हैं या जश्न मनाने के दूसरे तरीकों से हंगामा करते हैं, लेकिन उलेमा ऐसा करना हराम मानते हैं। यह जश्न की रात नहीं, बल्कि इबादत की रात है. शबे बरात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करने का ज्यादा महत्व है।

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