मौसम की मार से किसानों के चेहरे पर संकट के बादल…..

बुरहान राजपूत (पिरान कलियर)
विश्व में कोरोना की महामारी से जहां लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है, वहीं बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने किसान परिवारों की नींद उड़ा दी है। कृषि भारत में जहां पर किसान बदहाली की कगार पर जूझ रहा है। वहीं दूसरी ओर मौसम भी किसानों के साथ नहीं दे रहा है। जी हां फिलहाल इस वक्त खेतों में गेहूं की पक्की फसलें खड़ी है। जिसको काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस के चलते 19 दिन का ओर लॉक डाउन बढ़ा दिया गया है। जिससे किसान मजदूर तबके के लोग घरों में रहने के लिए मजबूर है। लेकिन जिस फसल को मजदूर द्वारा कटा जाता है कोरोना वायरस के चलते मजदूर घरो से बाहर नहीं निकल रहे है। जिससे किसानों की हजारों बीघा फसलें खेतों में खड़ी है।
दिन-रात की मेहनत के बाद अब खेतों में गेहूं की फसलें कटाई की कगार पर है। हालांकि कई किसानों ने इसकी कटाई शुरु कर दी है। लेकिन बाद में बुवाई करने वाले किसान इसके पूरी तरह से पकने के इंतजार में थे। ऐसे में रविवार शाम को अचानक ही मौसम परिवर्तन होने के साथ आसमान में घने बादल छा गए। बिजली की गर्जना के साथ ही हल्की बौछारें बरसनी शुरु हो गई। आसमान में बादलों को देख किसानों में नुकसान के अंदेशे को लेकर चिंता नजर आई। कई किसान परिवार खेतों में कटाई के कार्य में जुट गए हैं। रविवार को दिन भर माहौल में उमस का प्रकोप रहा। सोमवार को करीब 6 बजे से ही आसमान में अचानक बादल छाने लगे। कुछ ही देर में बिजली गर्जना के साथ ठंडी हवाएं चलने लगी, इसके साथ ही रिमझिम बौछार शुरु हो गई। कुछ समय तक चली फुंहारों के बाद माहौल में ठंडक घुलने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई। बेमौसम बरसात से मौसमी बीमारियों के बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। खेतों में खड़ी पकी फसल ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीर खींच दी।