April 19, 2025

रमजान के पवित्र महीने में दान देने का ज्यादा महत्व……

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बुरहान राजपूत

मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान चल रहा है। इस माह में जकात-खैरात का विशेष महत्व है। कोरोना वायरस के चलते इस बार पूरे देश में लॉक डाउन है। इस वजह से सदका और खैरात असल हकदार तक शायद ही पहुंच पाए। इस पर आलिमों का कहना है कि अपने आसपास के गरीब व असहाय लोगों और जरुरतमंदों, यतीमों को ज्यादा से ज्यादा खैरात और सदका अदा करना चाहिये। रमजान के पवित्र महीने में रोज़े की जकात फितरे होते हैं। सैय्यद शादाब का कहना है कि अल्लाह का हुक्म हैं कि ईद की खुशियों में उन लोगों को भी शामिल करो जिनके पास ईद की खुशियों में शामिल होने को आवश्यक वस्तुएं भी नहीं हैं।
उन्होंने उलेमा-ए-कराम से एक रिवायत के हवाले से बताया कि ईद की नमाज से पहले फितरे अदा कर देने से बेसहरा लोगों की भी मदद हो जाती है। जिससे वह भी ईद की खुशियों में हमारे साथ शामिल हो जाते हैं।
सैय्यद वाशिफ हुसैन ने लोगों से लॉक डाउन का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि अल्लाह के रसूल पैगंबर मोहम्मद साहब से रिवायत है कि अल्लाह रब्बुल इज्जत ने जिसे माल-ओ-असबाब दिया हो और वह उसकी जकात अदा न करता हो तो उसका माल कयामत के दिन सांप की शक्ल में उसके गले में डाल दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हर मुसलमान पर फितरे देना वाजिब है, चाहे वो औरत हो या मर्द अथवा नाबालिग। रोजों की जकात फितरे होते हैं।और फितरों को ईद की नमाज से पहले अदा कर देना चाहिए। घर के मुखिया और कमाने वाले पर जरुरी है कि वह अपने बच्चों और अपने घरों की महिलाओ के फितरें दे।
गरीब और असहायों की ज्यादा से ज्यादा मदद करे।
एक बालिग, नाबालिग एवं महिला का फितरा फतवा रिजवा के मुताबिक 2 किलो 50 ग्राम है या उसकी कीमत बाजार भाव के मुताबिक अदा की जा सकती है। इस रमजान फितरा सरकारी रेट के हिसाब से 39 रुपए का है। सैय्यद वाशिफ हुसैन ने कहा की लॉक डाउन के चलते बहुत से लोग परेशान हैं। ऐसे में दाैलत वालों काे उनकी मदद करनी चाहिए। जकात और खैरात बिना किसी हिसाब के अदा करनी चाहिए और अल्लाह के रसूल से यह भी रिवायत है कि खैरात और सदका अदा करने में देरी नहीं करनी चाहिए। इससे इंसान पर आने वाली बलाएं टलती हैं। लोगों की खुशी की खातिर थोड़ा सा मुस्करा देना, नेक बात कहदेना, रास्ते में पड़ा पत्थर हटा देना और प्यासे को पानी पीला देना भी सदका होता है। पैगम्बर मुहम्मद साहब ने फ़रमाया है कि सदका गुनाहों को ऐसे दूर करता है। जैसे पानी आग को बुझा देता है।

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