नियम विरुद्ध प्रशासन को गुमराह कर साबरी मस्जिद की नमाज की सफो की फाइल भुगतान के लिये दरगाह प्रबंधक ने भेजी वक्फ बोर्ड सीईओ के पास

पिरान कलियर
जर्जर हालात मस्जिद रेलवे स्टेशन व इमाम साहब की मरम्मत दरगाह खाते से न होकर चंदे से कराना ओर साबरी मस्जिद की सफे दरगाह खाते से कराने को लेकर प्रशासन व उत्तराखंड की दोहरी नीति का अक़ीददत मन्द लोगो में रोष उतपन हो रहा है।अक़ीददत मन्द लोगो का कहना है कि जब दरगाह खाते से जर्जर हालात रेलवे स्टेशन रुडकी की मस्जिद व इमाम साहब की मस्जिद की मरम्मत का प्रस्ताव हुआ था तभी उत्तराखंड सी ई ओ बख्फ बोर्ड व प्रशासन ने यह आदेश दिये थे कि दरगाह के खाते से मरम्मत नही कराई जा सकती है यह काम सिर्फ चंदे से ही मुमकिन है।अब सवाल प्रशासन व उत्तराखंड वख्फ बोर्ड की कार्यशैली पर ही उठता दिखाई दे रहा है कि अगर सफे दरगाह के खाते से भुगतान के लिये प्रबंधक के प्रस्ताव पर मंगाई जा सकती है तो फिर जर्जर हालात मस्जिदों की मरम्मत किस आधार पर मुनासिब नही है।सूत्रों का कहना है कि हाल ही में कोरोना काल के चलते सही हालत में काफी सफे मस्जिद से उठाकर रखी गयी थी ओर नयी सफो की जरूरत भी नही होने के बावजूद बिना किसी सार्वजनिक सूचना व कोटेशन के नयी स्फे प्रबंधक ने क्यों ओर किसके आदेश पर मंगवाई हैं,जिनका बिल भुगतान की प्रकिर्या भी सफे लाने वाले ठेकेदार से मिलीभगत कर 2 लाख 80 हजार के लगभग दरगाह खाते से कराने के लिये फाइल प्रशासन से स्वीकृति कराकर उत्तराखंड वख्फ बोर्ड सी ई ओ की स्वीकृति के लिये भेजी जा चुकी है ऐसी चर्चा क्षेत्र में व्याप्त हो रही है।