कोरोना टेस्ट के नाम पर जनता के जीवन से खिलवाड़ कर रहा स्वास्थ्य विभाग , जांच को लेकर सीएमओ ने दिया बयान बोले देख लेंगे सस्पेंड नहीं कर सकता , पीएम व सीएम के नियमो का खुला उल्लंघन..

ब्यूरो रिपोर्ट
कोविड़-19 महामारी को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को इसके कितनी चिंता है, इसका अंदाजा उस समय लगाया गया, जब एक डिग्री कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित की गई डॉ. तनवीर समेत तीन सदस्य टीम कोविड़-19 के दौरान छात्रों और शिक्षकों की जांच करने के लिए पहुंची थी। जांच टीम को देख शिक्षक और छात्र भोंचके रह गए। इस संबंध में टीम की लापरवाही को देखते हुए डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल/रजिस्ट्रार द्वारा दूरभाष पर सीएमओ डॉक्टर शंभू कुमार झा को फोटो सहित शिकायत की और बताया कि किस तरह टेस्टिंग करवाई में विभाग की टीम ने लापरवाही बरती। उन्होंने यह भी बताया कि टीम ने इस दौरान न तो पीपीई किट पहनी हुई थी, ओर न ही उनके पास सैनीटाइजर था। यहाँ तक कि टीम ने तीन लोगों के बिना ग्लब्ज ओर मास्क के ही जांच की। इसके साथ ही उन्होंने डीएम कार्यालय को भी मामले की जानकारी दी। जब प्रिंसिपल/रजिस्ट्रार से जानकारी की गई, तो उन्होंने कहा कि वास्तव में स्वास्थ्य टीम की लापरवाही सामने आई थी, जिसकी शिकायत उनके द्वारा उच्च अधिकारियों को दूरभाष के माध्यम से दर्ज कराई गई? अब सवाल यह उठता है कि कोरोना महामारी के खतरे को राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर आम जनता को जरूरी संसाधनों के माध्यम से अवगत कराया जा रहा है ताकि आम जनता का इस महामारी से बचाव किया जा सके। महामारी की गंभीरता को देखते हुए कोविड़-19 की जांच में कर्मियों द्वारा लापरवाही बरतना कितना सही है? इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस को लेकर कतई गंभीर नहीं है और उनके लिए शायद कोरोना महामारी मात्र एक मामूली सी बीमारी है। जब इस संबंध में सीएमओ डॉक्टर शंभू कुमार झा से वार्ता की गई, तो उन्होंने कहा कि जांच सामने आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या कार्रवाई की जाएगी? जब उनसे पूछा गया कि कानूनन क्या कार्यवाही होगी, तो वह देख लेंगे तक ही सीमित रहे? और इस प्रकरण से बचते नजर आए।
ऐसे हालात को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारियों ओर कर्मचारियों में भी कोरोना को लेकर कोई जागरूकता ओर गंभीरता नहीं है? वह भी सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति ही कर रहे हैं।