धूमधाम के साथ मनाया गया ग्यारहवीं शरीफ का प्रोग्राम…

बुरहान राजपूत
(पिरान कलियर)
देवभूमि उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार क्षेत्र के ग्राम बढ़ेडी राजपूतान में शुक्रवार की शाम को बड़े पीर के नाम से मशहूर पिराने पीर दस्तगीर की ग्यारहवीं शरीफ का प्रोग्राम बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। मगरिब के बाद लंगर का एहतमाम किया गया और इशा की नमाज के बाद महफिलें नाते ख्वानी (मिलाद शरीफ) का आयोजन हुआ।
खानकाहे फैजाने वाहिद गद्दीनशीन सैयद फरीद आलम साबरी ने बयानात के जरिए एकता एवं भाईचारे की अपील की। उन्होंने कहा कि गौसे पाक का नाम शेख सैयद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्ला अलैह है। आप अन्य अन्य नामों से जाने जाते है। आप का लकब मोहिउद्दीन है. जिसका अर्थ मजहब को जिंदा करने वाला है। आप मजहब की तबलीग करने के लिए बगदाद गये. आप ने 521 हिजरी में बगदाद में लोगों को मजहब व दीन की बातें फैलाने के लिए बयान फरमाये और 40 सालों तक अर्थात 561 हिजरी तक मुसलसल बहुत मजबूती से नेकी व मजहब की बातों को फैलाते रहे. आप की मजलिस में लोगों की भीड़ उमड़ती. भीड़ को देखकर ईदगाह में बयान देना शुरू किये, लेकिन वहां भी जगह कम पड़ जाती इसके बाद शहर से बाहर दूर खाली जगहों पर जाकर बयान करते. उस जमाने में मजलिस में 70-70 हजार लोगों की भीड़ उमड़ आती थी. रवायत है कि आपका बयान सुनने के लिए जिन्नात भी आया करते थे. आप के पास बेशुमार इल्म था. जिसका फायदा दुनिया को मिला और इस्लाम नये सिरे से जिंदा हुआ।
सैयद वासिफ हुसैन ने बताया कि प्रतिवर्ष दरगाह हाफिज मोहम्मद इस्हाख में ग्यारहवीं शरीफ का प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है। पीरों के पीर शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलनी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखते है। जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है। ग्यारहवीं शरीफ के महीने में गौसे पाक से मोहब्बत रखने वाले लोग उनके नाम का लंगर बांटते हैं। और अपने घरों के अंदर गौसे पाक की फातिहा दिलाते हैं। इस मौके पर सैय्यद फरीद आलम ज़ैदी साबरी, सैय्यद वासिफ हुसैन, फरमान उर्फ भुरा कारी, रफत,गुलाम हुसैन,शफाअत,सैफ अली,राव अबरार, सलामत साबरी,राव सोनू अली,रजब अली, फरत खां, अनीस पधान आदि लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।