April 17, 2025

लेखपाल की रिपोर्ट से मंगलौर कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल….

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ब्यूरो रिपोर्ट

 

लेखपाल की रिपोर्ट में पूरा भवन निर्माण ही निकला अनाधिकृत

1984 से सिविल जज रुड़की के न्यायालय के स्थाई स्टे से प्रभावित है संबंधित भवन की भूमि

रुड़की। नगला ऐमाद गांव में भवन निर्माण के मामले को लेकर कोतवाली मंगलौर पुलिस की कार्यप्रणाली लेखपाल की रिपोर्ट से स्वयं ही सवालो के घेरे में आ खड़ी हुई है, क्योंकि लेखपाल की रिपोर्ट के मुताबिक भवन निर्माण की संबंधित भूमि न्यायालय सिविल जज रुड़की द्वारा पारित आदेश दिनांक 14-11-1984 के स्थाई निषेधाज्ञा (स्टे) से प्रभावित है संबंधित भूमि अभिलेखों में ग्राम समाज के हित से निहित है। बावजूद इसके विधि विरूद्ध खिड़की, रोशनदान एवं छज्जे आदि के निर्माण को कोतवाली मंगलौर पुलिस ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व अपर उप जिलाधिकारी के आदेशों के अनुपालन में बार-बार रोक लगाने के बाद भी रुकवा नही पाई, पीड़ित द्वारा मामले की बाबत थाना कोतवाली पुलिस के साथ ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की, अपर उप जिलाधिकारी रुड़की, एसएसपी हरिद्वार, सीएम हेल्प लाइन उत्तराखंड, राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार, प्रधानमंत्री से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की गई है लेकिन अभी तक इस दबंग परिवार के सामने शासन-प्रशासन और पुलिस की तमाम कार्यवाही फेल नजर आ रही हैं।
तहसील रुड़की क्षेत्रान्तर्गत कोतवाली मंगलौर क्षेत्र के गांव नगला ऐमाद निवासी बालेन्द्र कुमार पुत्र रामपाल सिंह के मुताबिक गांव में ही उसका करीब 700 वर्ग फूट का एक मूल आबादी की पैतृक भूमि का एक खाली प्लॉट है, जिसमे उसका परिवार गोबर के उपले पाथने, एवं लकड़ी आदि सामान रखने का कार्य बदस्तूत करता चला आ रहा है। वर्तमान में संबंधित प्लॉट पर उसका गोबर के उपलों का बिटोडा व लकड़ी आदि समान रखा हुआ है। इसके साथ ही खाली प्लाट में तीन हरे पेड़ पॉपुलर एवं एक पुराना हरा पेड़ गुल्लर का खड़ा हुआ है। आरोप है कि पश्चिम मुहाने पीड़ित के प्लाट के पीछे पूरब दिशा में गांव के ही सतपाल उर्फ छत्रपाल पुत्र अमर सिंह का मकान है जिसक मकान के प्रथम तल पर सतपाल उर्फ छत्रपाल द्वारा मकान का निर्माण किया गया है। मकान की पिछली दीवार में पश्चिम की ओर पीड़ित बालेन्द्र के प्लॉट की तरफ जबरन खिड़की, रोशनदान एवं छज्जे आदि का विधि-विरूद्ध निर्माण किया गया, इस छज्जा आदि के अवैधानिक निर्माण के दौरान रोक की बाबत पीड़ित बालेन्द्र द्वारा मामले की शिकायत कोतवाली मंगलौर पुलिस के साथ ही एएसडीएम रुड़की, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की, डीएम हरिद्वार, एसएसपी हरिद्वार, राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड, सीएम हेल्पलाइन उत्तराखंड, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, प्रधानमंत्री भारत सरकार से करते हुए कार्यवाही की मांग की गई, बावजूद इसके ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के कार्यवाही के आदेशों एवं एएसडीएम के सटे के अनुपालन में कोतवाली मंगलौर पुलिस की बार-बार रोक के बाद भी दबंगता के दम पर सतपाल उर्फ छत्रपाल ओ उसके परिवार के लोगो द्वारा नवनिर्माण पर 16/17 दिसम्बर 2019 की रात्रि निर्माणाधीन मकान पर लिंटर डाल लिया गया। 18 दिसम्बर 2019 को नायब तहसीलदार सुरेश सैनी के नेतृत्व में मोके पर पहुंची राजस्व टीम व एचआरडीए की टीम द्वारा रोक के बावजूद छज्जे के ऊपर भी निर्माण कर लिया गया, 5 जनवरी 2020 को संबंधित मकान के लिंटर का ढुल्ला खोला गया है, लेकिन ढुल्ले के उस पैटे को नही हटाया गया, जिसे निकाली गई अवैधानिक छज्जे की बल्लियों की रोकथाम के लिए लगाया गया था । दिनांक 14 दिसम्बर 2019 को पीड़ित बालेन्द्र की शिकायत पर अपर उप जिलाधिकारी रूड़की रविंद्र कुमार बिष्ट ने एसएचओ मंगलौर को आदेश पारित करते हुए लिखा था कि “यदि विपक्षी के द्वारा नियम विरुद्ध निर्माण किया जा रहा है तो तत्काल अवैधानिक निर्माण को रुकवाना सुनिश्चित करे” कोतवाली मंगलौर पुलिस जिस खिड़की, रोशनदान व छज्जे के अवैधानिक निर्माण को नही रुकवा पाई, लेखपाल की रिपोर्ट में वह पूरा पुख्ता मकान ही अवैधानिक है। सीएम हेल्पलाइन को प्रेषित लेखपाल धर्मेंद्र कुमार यादव की रिपोर्ट की माने तो भवन निर्माण की संबंधित भूमि न्यायालय सिविल जज रुड़की द्वारा पारित आदेश 14-11-1984 से स्थाई निषेधाज्ञा (स्टे) से प्रभावित है। जिस पर किसी भी तरह का निर्माण किया जाना सीधे तौर पर न्यायालय की अवहेलना है। यहाँ यह भी बताना दिलचस्प होगा कि लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में जिस कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट का जिक्र किया है उसमें लगे नक्शा नजरी के मुताबिक अमर सिंह पुत्र डीगराम के तीनों पुत्रों सतपाल उर्फ छत्रपाल, ओमकार व पूरन द्वारा किया गया दुमंजिले मकानों का निर्माण पूरी तरह से न्यायालय की अवहेलना है, जिन्हें ध्वस्त कराया जाना चाहिए, संबंधित न्यायालय ने इस परिवार को घर और घेर के लिए जितना क्षेत्रफल दिया था उसके 10 गुणा अधिक ग्राम समाज की सरकारी भूमि पर दुंजिले मकानों एवं चारदीवारी कर अवैध कब्जा कर लिया गया है। सवाल यह खड़ा होता है कि स्टे से प्रभावित ग्राम समाज के हित की भूमि पर मकानों का निर्माण कैसे हो गया है?

*नगला ऐमाद में करोड़ो रूपये की सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा

*खलिहान से पेडों के काटे जाने पर भी नही लग पा रहा ब्रेक

सूत्रों की माने तो अमर सिंह पुत्र स्व. डीगराम व उसके तीनों पुत्रों सतपाल उर्फ छत्रपाल, ओमकार व पूरण पूरन निवासीगण ग्राम नगला ऐमाद, कोतवाली मंगलौर ने ग्राम सभा के सरकारी खलियान खसरा नम्बर191 क्षेत्रफल 0.4870 हैक्टेयर, खलियान खसरा नम्बर 193 क्षेत्रफल 0.2750 हैक्टेयर के साथ ही ग्राम समाज की सरकारी आबादी खसरा नम्बर 192 क्षेत्रफल 0.2750 हैक्टेयर भूमि पर भी अवैध कब्जा कर रखा है, इसके साथ ही इनके खेतों में भी ग्राम समाज की करीब 6 बीघा सरकारी जमीन फालतू होने की भी चर्चा है। बीते 8 नवम्बर को सतपाल उर्फ छत्रपाल द्वारा खलियान से 8 यूके लिप्टिस के पेड़ों को कटवाकर बेच दिया गया था, बताया जा रहा है कि मामले की बाबत 11 नवम्बर को तहसीलदार के नेतृत्व में उच्च अधिकारी के निर्देश पर राजस्व टीम ने गांव पहुंच मामले का संज्ञान लिया था खलियान से पेड़ कटवाने का यह कोई पहला मामला नही है इससे पूर्व भी कई बार इस परिवार द्वारा पेडों के कटवाए जाने की चर्चा है। खलियान से पेड़ काटे जाने की बाबत 11अक्टूबर 2011 में हल्का लेखपाल द्वारा अमर सिंह के खिलाफ खलियान से पेड़ काटे जाने की तहरीर पुलिस को दी गई थी। खलियान खसरा नम्बर 193 में करीब 30 लाख रुपए के यूके लिप्टिस, पोपलर आदि के पेड़ खड़े हैं, जिन्हें ग्राम सभा तहसील कर्मियों की मिलीभगत से सफाया किया जा रहा है। स्टे के बावजूद हुए दुमंजिले मकानों का निर्माण भी इसी की एक बानगी है।
फ़ोटो। पीड़ित बालेन्द्र की खाली पड़े पैतृक प्लॉट की तरफ पीछे की दीवार में विधि विरुद्ध लगाए गए खिड़की, रोशनदान एवं छज्जा निर्माण।

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