April 19, 2025

आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ना करें कोई टिप्पणी एससी एसटी को भारत के संविधान से मिला है आरक्षण….

0
IMG-20200426-WA0020

ब्यूरो रिपोर्ट

जहां पूरे भारत में संविधान के हिसाब से सब चलता है वही कुछ दिन पूर्व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक केस में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की गई थी कि एससी एसटी का आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू होना चाहिए झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी पूरी तरह अनावश्यक बताते हुए कहा है कि हमारे समाज वास्तविकता से कोसों दूर है हमारे संविधान में एससी एसटी को सामाजिक असमानता छुआछूत व भेदभाव के कारण आरक्षण दिया गया है ना कि उनकी आर्थिक स्थिति के कारण आज हमारे समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति समाज के हर व्यक्ति को भेदभाव व घृणा भरी नजरों से देखता है और इन लोगों को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दलित समाज का वह व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से कमजोर है या मजबूत इस बात को स्पष्ट करने के लिए झबरेड़ा विधायक देशज करने वाले सर्वोच्च न्यायालय में व्यक्तिगत उद्धरण का जिसमें उन्होंने बताया कि वह वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा का निर्वाचित सदस्य हैं और इससे पहले जिला पंचायत के भी निर्वाचित सदस्य रह चुका है वहीं उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है और वह सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराना चाहते हैं कि इसके बावजूद भी लोगों द्वारा उन्हें जातिसूचक शब्द कहे जाते रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी जातिसूचक अभद्र टिप्पणी या लगातार की जा रही है जिस कारण उन्हें लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी करनी पड़ी आरक्षण अनुसूचित जाति समाज का संवैधानिक अधिकार उन्होंने बताया है और कहा है कि केंद्र सरकार इसे इसके वास्तविक स्वरूप में जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प कर रही है वहीं विधायक का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के जारी आरक्षण को इसके वर्तमान स्वरूप में बना रखेगी और इससे किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं होने देगी आरक्षण की स्वरूप में दिया जाना है यह केवल जनता द्वारा निर्वाचित सरकार द्वारा ही तय किया जा सकता है सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए और जो संविधान के अनुरूप आरक्षण मिला हुआ है उस पर सर्वोच्च न्यायालय कोई टिप्पणी ना करें वही विधायक देशराज करण वालों का कहना है कि आरक्षण जाति के लोगों की स्थिति को देखते हुए दिया गया था क्योंकि पहले जब संविधान बना था तो देखा गया था कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने सभी स्थिति से गुजर कर देखा कि अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ छुआछूत जैसी एक बीमारी लोगों द्वारा बनाई गई थी इसको देखते हुए भारत के संविधान में यह आरक्षण आरक्षित किया गया थाजहां पूरे भारत में संविधान के हिसाब से सब चलता है वही कुछ दिन पूर्व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक केस में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की गई थी कि एससी एसटी का आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू होना चाहिए झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी पूरी तरह अनावश्यक बताते हुए कहा है कि हमारे समाज वास्तविकता से कोसों दूर है हमारे संविधान में एससी एसटी को सामाजिक असमानता छुआछूत व भेदभाव के कारण आरक्षण दिया गया है ना कि उनकी आर्थिक स्थिति के कारण आज हमारे समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति समाज के हर व्यक्ति को भेदभाव व घृणा भरी नजरों से देखता है और इन लोगों को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दलित समाज का वह व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से कमजोर है या मजबूत इस बात को स्पष्ट करने के लिए झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल सर्वोच्च न्यायालय में व्यक्तिगत उद्धरण का जिसमें उन्होंने बताया कि वह वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा के निर्वाचित सदस्य हैं और इससे पहले जिला पंचायत के भी निर्वाचित सदस्य रह चुके है वहीं उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है और वह सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराना चाहते हैं कि इसके बावजूद भी लोगों द्वारा उन्हें जातिसूचक शब्द कहे जाते रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी जातिसूचक अभद्र टिप्पणी लगातार की जा रही है जिस कारण उन्हें लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी करनी पड़ी आरक्षण अनुसूचित जाति समाज का संवैधानिक अधिकार उन्होंने बताया है और कहा है कि केंद्र सरकार इसे इसके वास्तविक स्वरूप में जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प कर रही है वहीं विधायक का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के जारी आरक्षण को इसके वर्तमान स्वरूप में बना रखेगी और इससे किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं होने देगी आरक्षण की स्वरूप में दिया जाना है यह केवल जनता द्वारा निर्वाचित सरकार द्वारा ही तय किया जा सकता है सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए और जो संविधान के अनुरूप आरक्षण मिला हुआ है उस पर सर्वोच्च न्यायालय कोई टिप्पणी ना करें वही विधायक देशराज कर्णवाल का कहना है कि आरक्षण जाति के लोगों की स्थिति को देखते हुए दिया गया था क्योंकि पहले जब संविधान बना था तो देखा गया था कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने सभी स्थिति से गुजर कर देखा कि अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ छुआछूत जैसी एक बीमारी लोगों द्वारा बनाई गई थी इसको देखते हुए भारत के संविधान में यह आरक्षण आरक्षित किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!